छत्तीसगढ़

जनता की आशाओं और अधिकारों के संरक्षक के रूप में संविधान ने अपनी सार्थकता स्वयं-सिद्ध की : राज्यपाल उइके

राज्यपाल ने राजधानी में आयोजित मुख्य समारोह में ध्वजारोहण किया
रायपुर। छत्तीसगढ़ की राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने आज छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के पुलिस परेड ग्राउंड में 72 वें गणतंत्र दिवस के अवसर आयोजित मुख्य समारोह में ध्वजारोहण किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय ध्वज एवं राज्यपाल को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।
इस गार्ड ऑफ ऑनर में बीएसएफ, सीआरपीएफ, सीआईएसएफ, आईटीबीपी, एसएसबी, छसबल पुरूष, छसबल महिला, जिला पुलिस बल, नगर सेना पुरूष, नगर सेना महिला, बैंड का प्लाटून शामिल थे। इसका नेतृत्व परिवीक्षाधीन भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी सुश्री रत्ना सिंह ने किया। सेकंड ऑफिसर इन कमांड के रूप में परिवीक्षाधीन उप पुलिस अधीक्षक श्री सतीष भार्गव थे।
राज्यपाल सुश्री उइके ने अपने संदेश में प्रदेशवासियों को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि आज ही के दिन 26 जनवरी 1950 को हमारे देश का संविधान लागू हुआ था। हमारे संविधान और लोकतांत्रिक प्रणाली के उद्घोष का गौरवशाली दिन ‘गणतंत्र दिवसÓ जन-जन के अभिनंदन का दिन है।
राज्यपाल ने कहा कि मैं भारत के स्वतंत्रता संग्राम में शहीद हुए महापुरूषों, आजादी के लिए तन-मन-धन अर्पित करने वाले पुरखों और संविधान निर्माताओं को सादर नमन करती हूं। सीमाओं पर डटे रहकर देश की रक्षा करने वाले वीर सैनिकों से लेकर आजाद भारत के नवनिर्माण में अपना योगदान देने वाले सभी महानुभावों को सादर प्रणाम करती हूं। उन्होंने कहा कि मैं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू, प्रथम विधि मंत्री बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर, प्रथम उप प्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री श्री सरदार वल्लभभाई पटेल के माध्यम से उस पीढ़ी का पावन स्मरण करती हूं। जिस विलक्षण प्रतिभा और दूरदर्शिता के साथ, जनता की आशाओं और अधिकारों के संरक्षक के रूप में भारत के संविधान का निर्माण किया गया था, उसने अपनी सार्थकता बीते 71 वर्षों में स्वयं-सिद्ध की है। आइए, आज के दिन हम एक बार फिर यह संकल्प लें कि हम अपने संविधान के प्रति अटूट आस्था बनाए रखेंगे और इसकी रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहेंगे।
छत्तीसगढ़ में कोरोना की अभूतपूर्व आपदा और चुनौतियों का
धीरज, सावधानी, समझदारी, साहस और एकता से सामना किया गया

राज्यपाल ने कहा कि वर्ष 2020 देश और दुनिया के समक्ष कोरोना की अभूतपूर्व आपदा और चुनौतियों का था। छत्तीसगढ़ प्रदेश ने जिस तरह धीरज, सावधानी, समझदारी साहस और एकता से इस चुनौती का सामना किया गया, वह अत्यंत सराहनीय है। चिकित्सकों, स्वास्थ्य-कर्मियों, समाजसेवी संगठनों ने जो समर्पित व निष्काम सेवाएं दी हैं, वह मानवता के इतिहास में दर्ज होंगी। मैं उन महान वैज्ञानिकों को भी सादर नमन करती हूं जिन्होंने कोरोना के टीके का आविष्कार किया, टीके के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया और कोरोना महामारी से निजात दिलाने का रास्ता बनाया।
राज्यपाल ने कहा कि मुझे खुशी है कि मेरे छत्तीसगढ़ में भी कोरोना टीकाकरण की शुरूआत हो गई है। उन्होंने आग्रह किया कि इस टीकाकरण अभियान को सफल बनाने के लिए मेरे प्रदेश की जागरूक जनता अपना सहयोग करें। छत्तीसगढ़ सरकार की दूरदर्शी सोच, नवाचार, प्रशासनिक संवेदनशीलता और समयोचित कदमों के कारण एक ओर जहां जनता को राहत मिली, वहीं दूसरी ओर सेवा और विकास के क्षेत्रों में भी नए-नए कीर्तिमान रचे गए।
किसानों को ब्याज मुक्त कृषि ऋण देने के मामले में बना नया कीर्तिमान
राज्यपाल ने कहा कि प्रदेश की तीन चौथाई से अधिक जनसंख्या कृषि तथा वन उपजों पर आश्रित हैं, इसलिए सरकार ने सर्वाधिक ध्यान किसानों, ग्रामीणों, परंपरागत वनवासियों की सहायता व बेहतर आजीविका पर दिया है। किसानों को ब्याज मुक्त कृषि ऋण देने के मामले में इस वर्ष नया कीर्तिमान बना है, जिसके अनुसार प्रदेश में पहली बार लगभग 4 हजार 700 करोड़ रूपए की राशि करीब 12 लाख 66 हजार किसानों को दी गई। बेमौसम बरसात, ओला वृष्टि जैसी आपदाओं से हुई क्षति की भरपाई के लिए लगभग 6 लाख किसानों को 411 करोड़ रूपए की सहायता दी गई।
सुश्री उइके ने कहा कि प्रदेश की प्रमुख फसल धान की समर्थन मूल्य पर खरीदी सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता तो है ही, इसी के अनुरूप सर्वाधिक धान की खरीदी के नए कीर्तिमान स्थापित हुए हैं। विविध कृषि उपजों को समग्रता से देखते हुए किसानों को न्याय दिलाने की ऐतिहासिक पहल के रूप में ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजन’ को याद किया जाएगा जिसके तहत सरकार ने धान के साथ-साथ 13 अन्य फसलों यथा मक्का, सोयाबीन, मूंगफली, तिल, अरहर, मूंग, उड़द, कुल्थी, रामतिल, कोदो, कुटकी, रागी तथा गन्ना फसल के कास्त रकबे के आधार पर आदान सहायता हेतु प्रोत्साहन राशि किसानों को देने की अभिनव पहल की है और साढ़े चार हजार करोड़ रूपए से अधिक राशि किसानों को दी जा चुकी है।
सामुदायिक वन अधिकार पत्र और सामुदायिक वन संसाधन पत्र देने में नया कीर्तिमान
राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा कि निरस्त वन अधिकार दावों की समीक्षा से न्याय के नए द्वार खुले हैं। वन अधिकार पत्र प्रदान करने का नया दौर चला और सामुदायिक वन अधिकार पत्र व सामुदायिक वन संसाधन पत्र देने से उपलब्धियों का नया कीर्तिमान बना है। अब वन अधिकार पत्रों के माध्यम से आबंटित भूमि पर उत्पादित धान को भी समर्थन मूल्य पर खरीदने की पहल से वनवासियों को आर्थिक लाभ होगा। तेंदूपत्ता संग्राहकों को देश में सर्वाधिक पारिश्रमिक देने के अलावा ‘शहीद महेन्द्र कर्मा तेंदूपत्ता संग्राहक सामाजिक सुरक्षा योजना’ का लाभ दिलाने जैसे अभिनव कदम उठाए गए हैं। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने के लिये लघु वनोपजों की संख्या 7 से बढ़ाकर 52 तक कर दी गई है। देश में सर्वाधिक लघु वनोपज न्यूनतम समर्थन मूल्य पर क्रय करने वाले राज्यों में मेरा छत्तीसगढ़ प्रदेश प्रथम स्थान पर रहा है। वनोपजों के प्रसंस्करण हेतु 139 स्थानों पर वन-धन विकास केन्द्र स्थापित किए गए हैं। उन्होंने खुशी जताते हुए कहा कि छत्तीसगढ सरकाऱ अपनी उपजों के वेल्यू-एडीशन के नए युग में प्रवेश कर रहा है। कोण्डागांव में मक्का प्रसंस्करण इकाई, धान से एथेनाल बनाने की 4 इकाइयों और विकासखण्डों में 100 से अधिक फूडपार्कों की स्थापना की प्रक्रिया शुरू होने से नई उम्मीद जागी है।
‘गोधन न्याय योजना’ कमजोर तबकों और भूमिहीनों के लिए उम्मीद की नई किरण बनी
उन्होंने कहा कि ग्रामीण अंचलों में रोजगार प्रदान करने में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन का बड़ा योगदान रहा है। ‘सुराजी ग्राम योजना’ के अंतर्गत नरवा, गरवा, घुरवा, बारी के विकास एवं नवाचार से न्याय की नई परिभाषा गढ़ी गई है। ‘गोधन न्याय योजना’ आर्थिक रूप से कमजोर तबकों और भूमिहीनों के लिए उम्मीद की नई किरण बनी है जिसमें सरकारी दर पर गोबर बेचने वालों को प्रतिमाह औसतन 15 करोड़ रूपए की आय हो रही है।

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