डिजिटल साहूकारी पर रिजर्व बैंक की बनेगी समिति, अब लोन एप पर कसेगी नकेल
नई दिल्ली। मोबाइल एप से सिर्फ चंद मिनट में कर्ज देने का दावा करने और उसके बाद कर्जदारों को परेशान करने वाली फिनटेक कंपनियों पर जल्द ही लगाम लगने वाली है। रिजर्व बैंक ने इनपर अंकुश लगाने और नियामकीय दायरे में लाने के लिए एक समिति का गठन किया है। यह समिति तीन माह में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
रिजर्व बैंक की यह समिति डिजिटल साहूकारी के सारे पहलुओं को देखेगी। हाल के दिनों में अवैध रूप से मोबाइल एप से कर्ज देने वाली कंपनियों द्वारा कर्जदारों को परेशान करने की खबरों के बाद रिजर्व बैंक ने यह कदम उठाया है। केन्द्रीय बैंक ने एक बयान में कहा है कि यह समित मोबाइल एप या ऑनलाइन माध्यम से कर्ज देने वालों के तौर तरीकों का गंभीरता से अध्ययन करेगी। आरबीआई ने कहा है कि डिजिटल लेनदेन तेजी से बढ़ रहा है और दूर-दराज के क्षेत्रों में स्थित आबादी तक बैंकिंग सुविधा पहुंचाने में यह बहुत मददगार है। ऐसे में इसपर रोक लगाने की बजाय इसको सख्त नियामकीय दायरे में लाना ज्यादा बेहतर विकल्प है। रिजर्व बैंक की इस समिति में आंतरिक और बाहरी दोनों सदस्य होंगे। रिजर्व बैंक के कार्यकारी निदेशक जयंत कुमार दास, मुख्य महाप्रबंधक (सीजीएम) अजय कुमार चौधरी, पी.वासुदेवन और मनोरंजन मिश्रा आंतरिक सदस्य होंगे। वहीं मोनेक्सो फिनेटक के सह-संस्थापक विक्रम मेहता और साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ एवं क्लाउडसिक के सह-संस्थापक राहुल ससि समिति के बाहरी सदस्य होंगे।
एप से कर्ज लेने वाले आत्महत्या को मजबूर
एप से कर्ज लेने के बाद उसे चुकाने में देरी करने पर कंपनियों द्वारा परेशान करने की स्थिति में हाल के दिनों में देश के कई राज्यों में युवाओं ने आत्महत्या कर ली। इसमें तारक मेहता का उल्टा चश्मा का लेखक भी शामिल है। यह कंपनियां कर्ज देने में देरी करने पर परिवार और दोस्तों को उसके बारे में बताकर बदनाम करने की धमकी देती हैं। इसके अलावा अन्य तरह की धमकियां भी दी जाती हैं।