डीएमएफ से छत्तीसगढ़ में खनन प्रभावितों के जीवन में आई नई रोशनी
रायपुर|छत्तीसगढ़ राज्य खनिज संसाधनों के मामले में देश में अग्रणी स्थान रखता है। खनिजों के उत्पादन से जहां खनिज आधारित उद्योगों के माध्यम से क्षेत्र का विकास होता है, वहीं रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न होते हैं। सरकार खनन कार्यों से प्रभावित क्षेत्र में रहने वाले लोगों के हितों और कल्याण के लिए खनन पट्टे धारकों की भागीदारी सुनिश्चित कर रही है। इसके लिए पिछली सरकार में खनिज अधिनियम में जिला खनिज ट्रस्ट के गठन का प्रावधान किया गया था। हालांकि, विशेषज्ञों द्वारा इस प्रावधान में कई कमियों को महसूस किया जा रहा था क्योंकि जन प्रतिनिधियों की भागीदारी सुनिश्चित नहीं की जा रही थी। इसके अलावा, स्थानीय लोगों की भागीदारी भी न्यूनतम थी। इसके अलावा, सीधे प्रभावित लोगों के कल्याण के लिए धन का उचित उपयोग नहीं किया जा रहा था। सरल शब्दों में, जरूरतमंदों को आवंटित धन से लाभ नहीं मिल रहा था। पूर्ववर्ती प्रावधान में कई अन्य समान कमियों को भी देखा गया था।
इन कमियों को दूर करने के लिए, और स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण और स्वच्छता के क्षेत्र में प्रभावित स्थानीय लोगों को उचित लाभ प्रदान करने के लिए, राज्य सरकार ने पुराने प्रावधान में कई महत्वपूर्ण सुधार किए हैं। छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में विकास के लिए डीएमएफ फंड का काफी उपयोग किया है। छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में डीएमएफ फंड की मदद से शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचा विकास, बिजली, पानी, स्वच्छता आदि सभी क्षेत्र विकसित किए गए हैं। इस कोष का उपयोग राज्य के विभिन्न जिलों में आत्मानंद सरकारी अंग्रेजी-माध्यम स्कूलों के निर्माण में भी किया गया है। डीएमएफ की मदद से राज्य भर में कुपोषण के मामले कम हुए हैं। इसके अलावा, यह कोरोना संकट के दौरान स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे में सुधार और लोगों को जरूरी राहत प्रदान करने के लिए उपयोग किया गया। सरकार द्वारा उठाया गया प्राथमिक कदम ट्रस्ट में जन प्रतिनिधियों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना है, जिसके लिए, जिले के प्रभारी मंत्री को गवर्निंग काउंसिल के पदेन अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया। इसके साथ ही जिले के सभी विधायकों को इसके पदेन सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया है। पहले, पुराने प्रावधान के अनुसार, जिले के कलेक्टर गवर्निंग काउंसिल के अध्यक्ष हुआ करते थे।
वर्तमान सरकार द्वारा किए गए प्रावधान में अन्य महत्वपूर्ण परिवर्तन प्रभावित क्षेत्र के स्थानीय निवासियों की बढ़ी हुई भागीदारी है। यह उल्लेखनीय है कि पिछले प्रावधान में, केवल खनन से प्रभावित लोगों को ही विशेष रूप से परिषद में पर्याप्त स्थान नहीं दिया गया था।
राज्य सरकार द्वारा ट्रस्ट में प्राप्त राशि को सीधे जरूरतमंदों तक पहुंचाने के लिए पूर्ववर्ती प्रावधान में आवश्यक बदलाव किया गया है। संशोधनों के अनुसार, ट्रस्ट को प्राप्त राशि का 50 प्रतिशत सीधे प्रभावित क्षेत्र/व्यक्तियों के कल्याण के लिए उपयोग किया जाएगा। इसके परिणामस्वरूप निवासियों का आर्थिक और सामाजिक विकास हुआ है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि पिछले प्रावधान में, पूरे जिले को प्रभावित माना गया था और यह राशि इच्छानुसार खर्च की गई थी और लाभ का केवल एक हिस्सा जरूरतमंदों तक पहुंचता था। संशोधित प्रावधानों के अनुसार, ट्रस्ट फंड से लाभान्वित होने वाले लाभार्थियों की पहचान इन क्षेत्रों के समग्र विकास के लिए प्रभावित क्षेत्र ध् निवासियों की आवश्यकता के अनुसार पांच वर्षीय विजन डॉक्यूमेंट तैयार करने के लिए किया जाएगा। दंतेवाड़ा, कोरबा और बस्तर जिलों में यह काम शुरू हो चुका है।
स्थायी आजीविका, सार्वजनिक परिवहन, सांस्कृतिक मूल्यों को संरक्षित करने और युवा गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए ट्रस्ट फंड द्वारा संपादित कार्यों में नए क्षेत्रों को शामिल किया गया है। इसे दंतेवाड़ा, जशपुर, सुरगुजा और कांकेर जिलों में लागू किया जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में ट्रस्ट फंड का पेयजल, ऊर्जा आधारित परियोजना, स्वास्थ्य देखभाल के तहत सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य देखभाल की सुविधा, उच्चतर शिक्षा के लिए सरकारी संस्थानों में शैक्षिक शुल्क ध् छात्रावास शुल्क प्रदान करना, शिक्षा के साथ-साथ सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में सीधे प्रभावित क्षेत्रों के परिवार के सदस्यों को कोचिंग और आवासीय प्रशिक्षण का प्रावधान किया गया है। जशपुर जिले में संकल्प कोचिंग इसका एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
इसके अलावा, खाद्य प्रसंस्करण, लघु वनोपज और वन प्रसंस्करण के साथ-साथ कृषि उत्पादों के भंडारण और प्रसंस्करण इकाइयों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त जैविक खेती को भी बढ़ावा दिया जा रहा है और महिलाओं को रोजगार के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं। इसके जरिए कृषि के लिए खाद तैयार की जा रही है। नालियों की सफाई और सघन वृक्षारोपण कार्यों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। अब आधारभूत संरचना संबंधी कार्यों में केवल 20 प्रतिशत राशि का उपयोग पेयजल, स्वास्थ्य और शिक्षा के अलावा अन्य क्षेत्रों में किया जा रहा है।
वर्ष में एक बार राज्य स्तरीय निगरानी समिति की बैठक आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। ट्रस्ट के कार्यों की निगरानी के लिए राज्य स्तरीय जिला खनिज संस्थान ट्रस्ट सेल की स्थापना का प्रावधान किया गया है। राज्य सरकार ने इस काम में डीएमएफ से राशि खर्च करने, प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य, कुपोषण की समस्या को हल करने और कृषि कार्यों को रोजगार देने के निर्देश जारी किए हैं, जिसके परिणाम बहुत उत्साहजनक हैं। दंतेवाड़ा जिले में पिछले वर्ष की तुलना में कुपोषण में चार प्रतिशत की कमी आई है। इसी तरह, हाट बाजार क्लिनिक में जून 2019 से 50 हजार मरीजों का निरू शुल्क इलाज किया गया है। बस्तर संभाग के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल महारानी अस्पताल के संचालन के लिए मानव संसाधन और चिकित्सा आपूर्ति की नितांत आवश्यकता थी जिसकी आपूर्ति जिला प्रशासन द्वारा डीएमएफ से आपूर्ति की गई। जिला प्रशासन दंतेवाड़ा जिला डीएमएफ मद के माध्यम से सांस्कृतिक मूल्यों का संरक्षण कर रहा है। इसके तहत जिले की 143 ग्राम पंचायतों में देवगुड़ी का कायाकल्प कर और इसे पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित कर आदिवासियों की अमूल्य संस्कृति और विरासत को संरक्षित करने का काम किया जा रहा है। यह पहल आदिवासी संस्कृति और मूल्यों को और मजबूत करने में कारगर साबित हो रही है।
मुंगेली जिले के 20 ग्राम पंचायत के 81 आंगनबाड़ी केंद्रों में, छह महीने से तीन साल तक के कुपोषित बच्चे और तीन से छह साल की उम्र के आंगनवाड़ी में आने वाले सभी बच्चों को पौष्टिक भोजन, अंडा और अतिरिक्त पोषण आहार का प्रावधान किया गया है। डीएमएफ मद के तहत इन सभी बच्चों के लिए 21, 67,200 रुपये की राशि स्वीकृत की गई है। इस योजना से जिले के लगभग 2400 बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में खनिज बहुल छत्तीसगढ़ राज्य में जिला खनिज न्यास निधि की राशि को प्रदेश के खनन प्रभावित क्षेत्रों के समग्र आर्थिक और सामाजिक विकास तथा लोगों के जीवन स्तर में सकारात्मक बदलाव का माध्यम बनाने में बड़ी सफलताएं हासिल की गई हैं। मुख्यमंत्री की पहल पर छत्तीसगढ़ जिला खनिज संस्थान न्यास नियम में संशोधन कर नई प्राथमिकताएं तय की गई हैं और खनन प्रभावित क्षेत्रों के विकास की योजना के निर्माण और क्रियान्वयन में प्रभावित क्षेत्रों की ग्राम सभाओं, स्थानीय जनप्रतिनिधियों, अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों और महिलाओं की भागीदारी भी सुनिश्चित की गई है।
नये संशोधन के अनुसार डीएमएफ की राशि का उपयोग खनन प्रभावित अंचलों में शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका के साधन विकसित करने के लिए प्रशिक्षण, रोजगार, जीवनस्तर उन्नयन, सुपोषण आदि जनोपयोगी कार्यों में किया जा रहा है। इस मद से स्कूलों में शिक्षकों की व्यवस्था, स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार, पेयजल, कृषि विकास, सिंचाई, खाद्य प्रसंस्करण, पर्यावरण संरक्षण, प्रदूषण नियंत्रण, सार्वजनिक परिवहन सुविधाओं के विस्तार, खेल व अन्य युवा गतिविधि, वृद्ध और निःशक्तजन कल्याण, संस्कृति संरक्षण के साथ ही अधोसंरचना विकास के कार्य कराए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में गठित नई सरकार ने जिला खनिज न्यास की राशि के उपयोग के लिए नये सिरे से प्राथमिकता तय की हैं।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने 9 मार्च 2019 डीएमएफ के प्रभावी क्रियान्वयन पर आयोजित पर परिचर्चा में कहा था कि डीएमएफ की राशि का उपयोग खदान प्रभावित क्षेत्रों के विकास और वहां के प्रभावित लोगों के जीवन स्तर में सुधार, आजीविका के साधनों को विकसित करने के लिए प्राथमिकता के आधार पर किया जाना चाहिए। पूर्व में इस राशि से बड़े-बड़े भवन, अतिरिक्त कमरे बनाए गए। स्वीमिंग पूल और जिला कार्यालय में लिफ्ट लगाए गए थे। जबकि इस मद की राशि उपयोग खनन प्रभावित क्षेत्रों के विकास के लिए किया जाना चाहिए था।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की पहल पर छत्तीसगढ़ जिला खनिज संस्थान न्यास नियमों में किए गए संशोधन के अनुसार अब डीएमएफ की शासी परिषद में जिला कलेक्टर के स्थान पर प्रभारी मंत्री अध्यक्ष तथा क्षेत्रीय विधायक सदस्य होंगे। खनन कार्यों से प्रत्यक्ष प्रभावित क्षेत्रों की ग्राम सभा के कम से कम 10 सदस्यों की नियुक्ति का प्रावधान भी शासी परिषद में किया गया है। अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभा के 50 प्रतिशत सदस्य अनुसूचित जनजाति के होंगे। महिला सशक्तिकरण के तहत ग्राम सभा की 50 प्रतिशत सदस्य महिलाएं होंगी। नये नियमों के अनुसार जिला खनिज न्यास निधि में प्राप्त 50 प्रतिशत राशि का उपयोग प्रत्यक्ष प्रभावित क्षेत्रों में किया जाएगा। डीएमएफ की राशि के खर्च का सोशल ऑडिट कराया जाएगा।
डीएमएफ की राशि के उपयोग से खनन प्रभावित क्षेत्रों में प्रभावित लोगों के लिए आजीविका के स्थाई साधन विकसित किए जाएंगे। छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जहां वनोपज आधारित आजीविका के साधन विकसित करने को उच्च प्राथमिकता दी गई है। डीएमएफ के कार्यों की मॉनिटरिंग के लिए राज्य स्तरीय डीएमएफ सेल के गठन का प्रावधान भी किया गया है। नये प्रावधानों के अनुसार डीएमएफ राशि की अधिकतम 20 प्रतिशत राशि का उपयोग उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में अधोसंरचना के विकास में किया जा सकेगा। डीएमएफ में हर वर्ष औसतन 1200 करोड़ रूपए की राशि जमा होती है।
डीएमएफ की राशि का उपयोग कर प्रदेश के विभिन्न जिलों में अनेक महत्वपूर्ण कार्य किए जा रहे हैं। अनेक जिलों में इस मद से आत्मानंद शासकीय अंग्रेजी माध्यम स्कूल भवन, अस्पताल भवन, चिकित्सा सुविधा के विस्तार, आंगनबाड़ी केन्द्र भवन निर्मित किए गए हैं। बीजापुर जिले में सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल बनाया गया है। विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति की गई है। दंतेवाड़ा जिले में आजीविका के लिए इस मद से महिलाओं को ई-रिक्शा दिए गए हैं, महिला समूहों के मिनी राईस मिल मछली पालन जैसी गतिविधियों के लिए सहायता दी गई है। दंतेवाड़ा जिले के गीदम विकासखंड के हारम गांव में महिलाओं को आजीविका के साधन उपलब्ध कराने के लिए डीएमएफ मद से गारमेंट फैक्ट्री की स्थापना की गई है। ऐसी ही गारमेंट फैक्ट्रियां दंतेवाड़ा, बारसूर और बचेली में भी स्थापित करने की योजना है, जिसमें लगभग एक हजार महिलाओं को रोजगार मिलेगा।
नियमों में संशोधन के बाद अब डीएमएफ राशि से खनन प्रभावित क्षेत्र के शासकीय अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार, डॉक्टरों, नर्सों की सेवाएं प्राप्त करने, यहां रहने वाले परिवारों के बच्चों को नर्सिंग, चिकित्सा शिक्षा, इंजीनियरिंग, विधि, प्रबंधन, उच्च शिक्षा, व्यवसायिक पाठ्यक्रम, तकनीकी शिक्षा, शासकीय संस्थाओं, महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक शुल्क और छात्रावास शुल्क के भुगतान के साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग और आवासीय प्रशिक्षण की व्यवस्था भी इस मद से की जा रही है।
राज्य में इस तरह के कई उदाहरण हैं जो यह इंगित करते हैं कि डीएमएफ की राशि का मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली सरकार में पूर्ववर्ती सरकार की तुलना में बेहतर उपयोग सुनिश्चित किया जा रहा है। इसके साथ