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दस दिनों तक शिल्प बाजार बना रहा राजधानी वासियों के मुख्य आकर्षण का केन्द्र

रायपुर। छत्तीसगढ़ हाट परिसर पण्डरी रायपुर में आयोजित 10 दिवसीय गांधी शिल्प बाजार का समापन हुआ। गांधी शिल्प बाजार का आयोजन विकास आयुक्त (हस्तशिल्प), वस्त्र मंत्रालय नई दिल्ली के सहयोग से किया गया था। जिसका समापन सादे समारोह में बड़े ही सादगी पूर्वक छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड के अधिकारियों की उपस्थिति में संपन्न हुआ।
गांधी शिल्प बाजार 10 दिनों तक राजधानी वासियों के लिए मुख्य आकर्षण का केन्द्र बना रहा। इस अवसर पर सभी शिल्पकारों को प्रशस्ती पत्र देकर सम्मानित किया गया। 12 फरवरी से 21 फरवरी तक आयोजित इस 10 दिवसीय गांधी शिल्प बाजार का शुभारंभ ग्रामोद्योग मंत्री गुरू रूद्रकुमार की अध्यक्षता में छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड के अध्यक्ष श्री चंदन कश्यप और छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड के अध्यक्ष श्री कुलदीप जुनेजा की विशिष्ट उपस्थिति में किया गया था।उल्लेखनीय है कि राजधानी वासियों के लिए शादी के सीजन में कोरोना संक्रमण काल के लंबे अंतराल बाद यह अनूठा अवसर था। जब लोगों को हस्तशिल्प विकास बोर्ड के इस आयोजन में छत्तीसगढ़ के साथ-साथ विभिन्न राज्यों की शिल्प कला से रूबरू होने का मौका मिला। वहीं लोगों ने अपनी पसंद की सजावटी वस्तुओं और पारंपरिक वस्त्रों की खरीदारी की। इस गांधी शिल्पबाजार में अपनी शिल्पकला का प्रदर्शन करने आए विभिन्न प्रदेशों के शिल्पकारों ने इस आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि हस्तशिल्प विकास बोर्ड का यह आयोजन अपने आप में अनूठा है। इस तरह के आयोजन से शिल्पकारों और उनके उत्पादों को प्रोत्साहन मिलता है। इस शिल्प बाजार में उनके उत्पादों को अच्छा प्रतिसाद मिला है और भविष्य में होने वाले इस तरह के आयोजन में अवश्य अपनी सहभागिता निभाएंगें। छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड के महाप्रबंधक श्री शंकर लाल धुर्वे और नोडल अधिकारी श्री एच बी अंसारी ने बताया कि इस 10 दिवसीय शिल्प बाजार में अब तक लगभग 40 लाख रूपए की आमदनी शिल्पकारों को हुई है।
शिल्पकारों द्वारा तैयार किये गए पारंपरिक वस्त्रों के साथ-साथ गृह उपयोगी और घरेलू साज-सज्जा की आकर्षक सजावटी वस्तुएँ भी बिक्री के लिए उपलब्ध थी। गौरतलब है कि शिल्प बाजार में छत्तीसगढ़ राज्य का हस्तशिल्प कला के साथ-साथ मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल,पांडिचेरी, जम्मू-कश्मीर सहित अन्य राज्यों के विभिन्न शिल्पकला के 100 से अधिक शिल्पकार सम्मिलित हुए।

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