विज्ञान

रूण लिंग परीक्षण कराने पर है 3 साल की सजा का प्रावधान

कन्या भू्रण हत्या एक जटिल सामाजिक समस्या है। कन्या भ्रूण हत्या करना और करवाना दोनों जघन्य अपराध हैं। इस दृष्टि से हमारे देश में कन्या भ्रूण हत्या की रोकधाम के लिए बनाया गया पी.सी.पी.एन.डी.टी एक्ट 1994 एक संवेदनशील अधिनियम है। इस अधिनियम के तहत कन्या भ्रूण हत्या में भागीदार डॉक्टर एवं रिश्तेदार के लिए 3 साल का कारावास और 50,000 रूपये का दण्ड का प्रावधान है। चिकित्सक का मेडिकल लायसेन्स भी 5 साल के लिए रद्द किया जा सकता है। चिकित्सा के क्षेत्र में शरीर के अंदर की संरचना को देख पाने वाली हर मशीन जैसे सोनोग्राफी मशीनें, सिटी स्केन, एम.आर.आइर्, मरीज बी-स्केन मशीनें, जो कि भ्रूण का लिंग जानने के लिए सक्षम है, का पी.एन.डी. टी. पंजीकरण अनिवार्य है। रायपुर जिले में इस एक्ट के अंतर्गत 245 संस्थाए पंजीकृत है। एक्ट के नियम का सही पालन एवं मशीनों एवं इसका इस्तेमाल करने वाले सभी डॉक्टरों का पंजीयन सुनिश्चित करने के लिए समय-समय पर पी.सी.पी.एन.डी.टी. सेल के सदस्यों द्वारा आकस्मिक निरीक्षण किया जाता है।
रायपुर जिले में इस वर्ष 108 संस्थाओं का आकस्मिक निरीक्षण किया गया है और 36 संस्थाओं का नया पंजीयन तथा 35 संस्थाओं का नवीनीकरण किया गया। निरीक्षण के दौरान 32 संस्थाओ को एक्ट के अनुरूप कार्य नहीं करने एवं दस्तावेजों के सही रख-रखाव नहीं करने के लिये कारण बताओ नोटिस दिया गया। 22 संस्थाओं का समय पर नवीनीकरण नहीं करवाने एवं एक्ट का पालन नहीं करने के कारण उनका पंजीयन निरस्त किया गया।
एक्ट के तहत जिला सलाहकार समिति की बैठक प्रत्येक दो माह आयोजित की जाती है। सभी कारवाईयों को सदस्यों के अनुमोदन के पश्चात् जिला समुचित पदाधिकारी (जिला कलेक्टर एवं दण्डाधिकारी) के अनुमोदन से ही की जाती है। इस वर्ष कुल चार बैंठके आयोजित की जा चुकी है।
जिला सलाहकार समिति, रायपुर द्वारा यह भी निर्णय लिया गया है कि कन्या भू्रण हत्या को रोकने और जन जागरूकता बढ़ाने दृष्टि से पी.सी.पी.एन.डी.टी. एक्ट के अंतर्गत रायपुर जिले के सभी सोनोग्राफी संस्थाओं को भ्रूण लिंग जॉच संबंधी बोर्ड के लिए हिन्दी, अंगे्रजी के अलावा छत्तीसगढ़ी भाषा का उपयोग भी अनिवार्य रूप से किया जाए। समिति के निर्णय के अनुसार तथा समिति में कलेक्टर के प्रतिनिधि के रूप में डिप्टी कलेक्टर श्रीमती पूनम शर्मा, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मीरा बघेल, जिला नोडल अधिकारी डॉ. स्मृति देवांगन के दिशा-निर्देश से जिले एवं विकासखण्ड के सभी शासकीय अस्पतालो में पी.सी.पी.एन.डी.टी. एक्ट के तहत कानून एवं उससे संबंधित दण्ड एवं कारावास की जानकारी वाला पिंक रंग का बोर्ड लगवाया गया है और सभी निजी सोनोग्राफी संस्थाओ को लगाने का निर्देश दिया गया है। इसी तरह मूल पी.सी.पी.एन.डी.टी. लाईसेन्स को प्रतिरूप से भिन्न रखने के लिये लाईसेन्स का रंग बदलकर गुलाबी रंग किया गया है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मीरा बघेल तथा जिला नोडल अधिकारी डॉ. स्मृति देवांगन बताया कि संस्थाओ के निरीक्षण के डर को समाप्त करने एवं दस्तावेजों के सही रख-रखाव एवं एक्ट के सही पालन के लिये चेक-लिस्ट जारी किया गया है। एक्ट के प्रति नागरिकों में जागरूकता बढ़ाने के समय-समय पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजन किये जाते हैं। अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस जैसे अवसरों में जिले एवं विकासखण्डों में भाषण, चित्रकला, लोकनृत्य, रंगोली, बैनर, पोस्टर आदि के माध्यम से लोगों को जागरूक भी किया जाता है।
पी.सी.पी.एन.डी.टी. एक्ट के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाने के लिए रायपुर एवं दुर्ग संभाग के जिलों के कलेक्टर, मुख्य चिकित्सा एवं एवं स्वास्थ्य अधिकारियों, नोडल अधिकारियों की उन्मुखीकरण कार्यशाला का आयोजन भी किया जा चुका है। निश्चय ही समाज में संतुलन लाने के लिये बेटियों का होना जरूरी है और इसलिये इस दृष्टि से एक्ट का पालन बेहद जरूरी है। भ्रूण लिंग परीक्षण करने और करवाने दोनों को इसके लिए कड़ी सजा मिलनी चाहिये, तभी हमारा देश और समाज समान पहियों से तेजी से आगे बढ़ेगा।

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