वजन दिमागी सेहत पर डाल सकता है बुरा असर

वाशिंगटन। मोटापा अल्जाइमर रोग के प्रभाव को बढ़ा सकता है। शेफील्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए नए शोध में यह जानकारी दी गई है। इसमें बताया गया कि अधिक वजन होना मस्तिष्क के स्वास्थ्य पर एक अतिरिक्त बोझ की तरह होता है और यह अल्जाइमर के जोखिम को बढ़ाने का काम करता है।
मल्टीमॉडल न्यूरोइमेजिंग अध्ययन से पता चला कि मध्य आयु में अधिक वजन होने का प्रभाव वृद्धावस्था में मस्तिष्क के स्वास्थ्य पर पड़ सकता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, हल्के अल्जाइमर रोग में वजन को संतुलित रखने से मस्तिष्क की संरचना को दुरुस्त बनाए रखने में मदद मिलती है। इस शोध के निष्कर्ष द जर्नल ऑफ अल्जाइमर डिजीज रिपोट्र्स में प्रकाशित किए गए हैं।
आंकड़ों की अगर बात करें तो दुनियाभर में करीब पांच करोड़ से अधिक लोग अल्जाइमर बीमारी के साथ रहने को मजबूर हैं। अर्से से वैज्ञानिक इस बीमारी का सटीक इलाज ढूंढऩे का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन कई अध्ययनों और वैश्विक शोध प्रयासों के बावजूद अब तक इस गंभीर बीमारी का पुख्ता इलाज नहीं खोजा जा सका है।
हालांकि, चिकित्सकों के दिशा-निर्देश और अपने खान-पान में सुधार जैसे उपाय करके इसके प्रभाव को कम जरूर किया जा सकता है। हालांकि यह नया अध्ययन इस बात पर जोर नहीं देता कि मोटापा ही अल्जाइमर रोग का प्रमुख कारण बनता है, बल्कि अध्ययन के परिणाम इस ओर इशारा करते हैं कि मोटापा या अधिक वजन होना मस्तिष्क के स्वास्थ्य पर एक अतिरिक्त बोझ का काम करता है, जिससे अल्जाइमर रोग के बढऩे की संभावना अधिक हो जाती है।
ऐसे में हमें मस्तिष्क स्वास्थ्य के बारे में सोचना शुरू कर देना चाहिए और इन रोगों को रोकने के लिए बहुत पहले से ही बच्चों को शिक्षित करना चाहिए। वेनेरी ने कहा कि अधिक वजन वाले बच्चों के वजन कम करने के बारे में समझाना महत्वपूर्ण है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि हल्के डिमेंशिया रोगियों में सही टेम्पोरोपेरिटाल जंक्शन के आस-पास मोटापे और ग्रे-मैटर की मात्रा के बीच सकारात्मक जुड़ाव था। इससे साफ होता है कि मोटापा संज्ञानात्मक हानि का कारण बन सकता है। अध्ययन में यह भी पाया गया कि एक स्वस्थ वजन बनाए रखने से उन लोगों में मस्तिष्क संरचना को सुदृढ़ बनाए रखने में मदद मिल सकती है जो पहले से ही हल्के अल्जाइमर रोग डिमेंशिया का सामना कर रहे हैं।
शोधकर्ताओं के अनुसार, हृदय रोग अथवा मधुमेह जैसी अन्य बीमारियों के विपरीत, लोग अक्सर न्यूरोलॉजिकल स्थितियों के संबंध में पोषण के महत्व के बारे में नहीं सोचते हैं। लेकिन इन निष्कर्षों से पता चलता है कि यह मस्तिष्क संरचना को बनाए रखने और दिमाग को दुरुस्त रखने में मदद कर सकता है।