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विक्रमादित्य सिंह ने लोकसभा चुनावों में कंगना रनौत को हराने पानी की तरह बहाया था पैसा

नई दिल्ली। हाल में संपन्न लोकसभा चुनावों को जीतने के लिए कांग्रेस ने पूरा जीजान लगा दिया था। कांग्रेस ने अपने सभी उम्मीदवारों को भारी भरकम चुनावी खर्च भी दिया था ताकि वह जीत हासिल कर सकें। यह स्थिति तब है जब लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस दावा कर रही थी कि उसके पास रेल टिकट कराने के पैसे भी नहीं बचे हैं। लेकिन अब जब कांग्रेस के चुनावी खर्चे की शुरुआती जानकारी सामने आई है तो कांग्रेस की उस बयानबाजी पर सवाल उठ रहे हैं जिसके तहत मोदी सरकार पर आरोप लगाये जा रहे थे कि जानबूझकर विपक्षी पार्टी के बैंक खाते फ्रीज किये जा रहे हैं ताकि वह चुनाव नहीं लड़ सके। कांग्रेस का चुनावी खर्च यह भी दर्शा रहा है कि पार्टी ने लोकसभा चुनावों में सबसे ज्यादा जान कंगना रनौत को हराने में लगाई थी।चल प्रदेश के मंडी संसदीय क्षेत्र से अपने उम्मीदवार और राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह को सबसे ज्यादा रुपए दिये थे ताकि वह भाजपा उम्मीदवार और फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत को हरा सकें। कांग्रेस की ओर से दिये गये विवरण के अनुसार विक्रमादित्य सिंह को 87 लाख रुपए दिये गये थे। विक्रमादित्य सिंह ने पैसा पानी की तरह बहाया था लेकिन मंडी की जनता ने कंगना को अपना प्रतिनिधि चुना था। विवरण के अनुसार, विक्रमादित्य सिंह के बाद कांग्रेस ने सबसे ज्यादा रुपए राहुल गांधी को दिये थे। राहुल गांधी को उत्तर प्रदेश की रायबरेली और केरल की वायनाड सीट से चुनाव लड़ने के लिए पार्टी की ओर से 70-70 लाख रुपए दिये गये थे। कांग्रेस का खर्च विवरण दर्शाता है कि पार्टी ने अपने विभिन्न उम्मीदवारों को कुल 145.5 करोड़ रुपये का एकमुश्त भुगतान घोषित किया था।
इस विवरण के अनुसार कांग्रेस ने अमेठी संसदीय क्षेत्र से पार्टी के उम्मीदवार किशोरी लाल शर्मा को भी चुनाव लड़ने के लिए 70 लाख रुपए दिये थे। गौरतलब है कि किशोरी लाल शर्मा ने अमेठी से भाजपा उम्मीदवार और तत्कालीन केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को करारी शिकस्त दी थी। किशोरी लाल शर्मा को भी राहुल गांधी के बराबर 70 लाख रुपए दिया जाना दर्शाता है कि वह गांधी परिवार के कितने करीबी हैं। इस विवरण के अनुसार कांग्रेस ने अरुणाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों में अपने उम्मीदवारों को 38 लाख रुपए खर्च के लिए दिये थे जबकि तमिलनाडु में प्रत्येक उम्मीदवार को पांच लाख रुपए खर्च के तौर पर दिये गये थे।

हम आपको बता दें कि चुनाव आयोग के समक्ष सभी राजनीतिक दलों को अपने चुनावी खर्च का विवरण जमा करना होता है। पहले आंशिक विवरण दिया जाता है तथा बाद में पूर्ण विवरण जमा करना होता है। संभवतः अब तक भाजपा ने अपने खर्च का आंशिक विवरण जमा नहीं किया है क्योंकि वह चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं है। अभी तक लगभग दो दर्जन राजनीतिक दलों ने अपने आंशिक-चुनाव व्यय विवरण दाखिल किए हैं जबकि सात राजनीतिक दलों ने अपने पूर्ण व्यय विवरण जमा कर दिए हैं।

विवरण के अनुसार वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा और आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए अपना कुल चुनाव खर्च 328.4 करोड़ रुपये घोषित किया है। हालांकि इस भारी भरकम खर्च के बावजूद पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी को आंध्र प्रदेश में केवल 11 विधानसभा सीटें और चार लोकसभा सीटें मिली हैं। विवरणों के अनुसार, बीजू जनता दल (बीजेडी) ने लोकसभा और ओडिशा विधानसभा चुनावों में अपने उम्मीदवारों को 54.6 करोड़ रुपये खर्च के लिए दिये। तृणमूल कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों को कुल 36 करोड़ रुपये दिये, राष्ट्रीय जनता दल ने 8.7 करोड़ रुपये खर्च किये, जद (एस) ने चुनाव में 2.2 करोड़ रुपये और एलजेपी ने 1.1 करोड़ रुपये चुनाव में अपने उम्मीदवारों को दिये। समाजवादी पार्टी ने 4.9 करोड़ रुपए खर्च किये जिसमें से अधिकतम 72.1 लाख रुपये डिंपल यादव को मिले, उसके बाद 60 लाख रुपये अखिलेश यादव को, 25 लाख रुपये उनके चचेरे भाई अक्षय यादव को और 20 लाख रुपये एक और चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को मिले। आंशिक चुनाव व्यय विवरण दर्शाते हैं कि सीपीआई (एम) ने अपने उम्मीदवारों को 11.8 करोड़ रुपये और सीपीआई ने अपने उम्मीदवारों को 1.3 करोड़ रुपये चुनावी खर्च के लिए दिये।

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